गमले घर पर लाएँगे।
पौधे सभी लगाएँगे।
फू ल यूँ मुस्कराएँगे।
सबके मन को भाएँगे।
शुद्ध हवा को करते हैं,
इनको आज बचाएँगे।
जब भी छुट्टी पाएँगे,
पौधें में रम जाएँगे।
घर-घर को महकाएँगे।
सारे बच्चे गाएँगे।
गमले घर पर लाएँगे।
पौधे सभी लगाएँगे।
- राकेश चक्र
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