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शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

मेघा हमको पानी दे दो

मेघा हमको पानी दे दो
राकेश ‘चक्र’

मेघा हमको पानी दे दो
खाने को गुरधानी दे दो ।
आग उगलते सूरज दादा
पानी दे दो, पानी दे दो ।।

सूखी नदियाँ सरवर सारे
फसलें सूखी, तरुवर प्यारे
घर अरु बाहर चैन नहीं हैं
चेहरे हो गए कारे-कारे
लाओ नीर, क्षीर से भाई
फसलें वही सुहानी दे दो ।।

रोम-रोम से बहे पसीना
कठिन लग रहा अब तो जीना
नल में पानी नहीं आ रहा
तन-मन सारा झीना-झीना
इन्द्र देवता बरसो भाई,
फिर से नई जवानी दे दो ।।

झम-झमाझम बरसो-बरसो
नाचूँ-कूदूँ हरषो-हरषो
नाव चलाऊँ जी भर कर मैं
घर आँगन में सरसो-सरसो
मोर टेरता तुमको भाई
बुँदियां नई-पुरानी दे दो ।।


राकेश ‘चक्र’
90, शिवपुरी, मुरादाबाद
मोबाइल: 09456201857

ंमंगलयान
     राकेश ‘चक्र’

मार्स आॅबिटर मिशन का
      यह पहला अभियान ।।
मंगल-ग्रह अंतरिक्ष में
      पहुँचा है मंगलयान ।।
डा. के.राधाकृष्णन हैं
      भारत देश की शान ।।
‘इसरो’ इसका नाम अनूठा
      यह उपग्रह रहा बनाता ।
यही भारतीय अंतरिक्ष में
      शोध संगठन कहलाता ।।
रोज-रोज ही गढ़ता रहता,
      मीलों के अगणित पत्थर
श्रीहरिकोटा है स्थापित,
      वर्ष उन्नीस सौ सत्तर ।।
प्रायोजित कार्यक्रम करता
      यह सबको है दिखलाता
यही दिखाता पूरे जग को,
      एक मंच पर है लाता ।।
ये ही सागर की लहरों पर,
      अपनी निगरानी रखता
तूफानों और चक्रवात की,
      सुन्दर, कथा-कहानी लिखता ।।
प्यारे बच्चो ! तुम भी कोई
      नई कहानी रोज लिखो
पढ़ो-पढ़ाओ-खेलो-कूदो
      बाहर-भीतर नेक दिखो ।

राकेश ‘चक्र’
90, शिवपुरी, मुरादाबाद
मोबाइल: 09456201857

पक्षी और बच्चे

पक्षी और बच्चे 
राकेश ‘चक्र’

उपवन के पक्षी हैं सारे ।
जैसे अपने बच्चे सारे ।।

मोर नाचता घूम-घूम कर 
‘चाहा’ गाती झूम-झूम कर 
काँव-काँव कर कौवे बोलें 
डाल-पात पर तोते डोलें
राग-रंग में मन भी झूमा
रंग-बिरंगे पक्षी न्यारे ।।

हवा बह रही है सुखदाई
फूल सुवासित रही नहाई
प्राची से सूरज उग आया
सोना-सा उसने बरसाया
डाल-पात सोने में भीगे
आसमान से उतरे तारे ।।

राकेश ‘चक्र’
90, शिवपुरी, मुरादाबाद
मोबाइल: 09456201857