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शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

मेघा हमको पानी दे दो

मेघा हमको पानी दे दो
राकेश ‘चक्र’

मेघा हमको पानी दे दो
खाने को गुरधानी दे दो ।
आग उगलते सूरज दादा
पानी दे दो, पानी दे दो ।।

सूखी नदियाँ सरवर सारे
फसलें सूखी, तरुवर प्यारे
घर अरु बाहर चैन नहीं हैं
चेहरे हो गए कारे-कारे
लाओ नीर, क्षीर से भाई
फसलें वही सुहानी दे दो ।।

रोम-रोम से बहे पसीना
कठिन लग रहा अब तो जीना
नल में पानी नहीं आ रहा
तन-मन सारा झीना-झीना
इन्द्र देवता बरसो भाई,
फिर से नई जवानी दे दो ।।

झम-झमाझम बरसो-बरसो
नाचूँ-कूदूँ हरषो-हरषो
नाव चलाऊँ जी भर कर मैं
घर आँगन में सरसो-सरसो
मोर टेरता तुमको भाई
बुँदियां नई-पुरानी दे दो ।।


राकेश ‘चक्र’
90, शिवपुरी, मुरादाबाद
मोबाइल: 09456201857

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