जो नहीं कल हो सका
वह आज कर लो
जिंदगी में
कुछ नया अन्दाज भर लो
सोचना वह बंद कर दो
हो गया जो भी बुरा है
जिंदगी में आज तक जो
मिली अपयश की सुरा है
श्रेष्ठ सोचो
श्रेष्ठ कर लो
यूं स्वयं पर नाज कर लो
कौन है, जिसने न कोई
भूल जीवन में करी हो
कौन -सी है डाल, हर ऋतु
में कि जो रहती हरी हो
बंद खिडकी
खोल दो अब
कुछ नया आग़ाज कर लो
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