खुशियाँ सबको ही मिलें, दीप जलें घर द्वार
वर्षों -वर्षों प्यार की, वर्षें खूब फुहार
वर्षें खूब फुआर ,प्रीत की रीति निभाऊ
जग में सारे प्यार के गीत नए मैं गाऊँ
कहे चक्र कविराय हसाएँ प्रतिदिन मन को
दीप जले घर दुआर मिलें खुशियाँ ही सबको